#Bharshiv_Nagvanshi_Khatriya Poem
ये राख नहीं उस देवी की
चिंगारी अब भी बाकी है ,
#भारशिव_भर_क्षत्रिय की तलवारों में
हर धार अभी भी बाकी है ,
तू भांड भला क्या समझेगा
निज मान मूल्य क्या होता है ,
भौंडी लीला की वेदी पर
सम्मान बेच कर सोता है ,
अरबों तुर्कों से लड़े थे हम
तैयारी अब भी बाकी है ,
ये राख नहीं उस देवी की ...
मत खेल हमारे घावों से
सड़कें भर देंगे लावों से
जो मान हमारा छेड़ा तो
रौंदेंगे तुझको पाँवों से
#बहराईच तो केवल ट्रेलर था
पिक्चर तो अब भी बाकी है ,
ये राख नहीं उस देवी की ...
वो जौहर नहीं एक क्रन्दन है
हर हिन्दू हृदय का स्पन्दन है ,
जीते जी क्या मरने पर भी
नहीं शील का होना भन्जन है ,
#भारशिव_भर_क्षत्रिय के अमर बलिदान की
चीत्कारें अब भी बाकी हैं ,
ये राख नहीं उस देवी की ...
चौदह सौ साल लड़े हैं हम
ले धर्म की ढाल खड़े हैं हम ,
खुल कर आज़मा के देख ले तू
ये कैसी ज़िद पर अड़े हैं हम ,
सींचा जिसको है प्राणों से
वो क्यारी अब भी बाकी है ,
ये राख नहीं उस देवी की ...
यदि माँ का दूध पिया है तो
आ खुल कर खेलें मैदां में ,
#सालार_मसूद भी ख़ाली हाथ गया
बस तेरी फ़ज़ीहत बाकी है ,
ये राख नहीं उस देवी की ...
सभी #भारशिव_भर/#राजभर मित्रो को समर्पित🗡🗡🚩🚩
जय #महाराजा_सुहेलदेव_राजभर 🚩🚩
जय भवानी 🗡🗡🚩🚩🚩
हर हर महादेव 🙏🙏🙏
सौजन्य से: #भारशिव_भर_क्षत्रिय_सेना
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