#Great_Worrior's_Chatrasaal_Rajbhar(छत्रसाल_राजभर)

 #महाराजा_छत्रसाल_राजभर की रक्षा करने वाले वीर ब्राह्मण पुत्र #बाजीराव_बल्लाल_पेशवा  की जय हो ।।


#महाराजा_छत्रसाल_राजभर का अधिकार


जैतपुर का क़िला पहले मुहम्मद बंगश ने फ़तेह कर लिया था। मराठों और बुंदेलों ने क़िले का घेरा डाल दिया और जब रसद समाप्त हो गई तो बंगश की फ़ौज को आत्म समर्पण कर देना पड़ा। इस क़िले को वापस लेने और इस पर अपना अधिकार करने में छत्रसाल को छ: महीने लगे थे। इस युद्ध में बुंदेलों को मराठों की सहायता से बहुत उत्साह मिला। छत्रसाल के पुत्रों ने भी युद्ध में बहुत वीरता दिखाई। कहा जाता है कि जब मुहम्मद बंगश ने भारी फ़ौज के साथ बुंदेला राज्य पर आक्रमण करने की तैयारियाँ शुरू कीं तो घबरा कर #छत्रसाल_भर ने बाजीराव प्रथम के पास निम्न दोहा लिखकर भेजा और सहायता मांगी-


●जो गति गज की ग्राह सों, सो गति भई है आज, बाजी जात बुंदेल की राखो बाजी लाज॥


"अगर मुझे पहुँचने में देर हो गई तो इतिहास लिखेगा कि एक #क्षत्रिय_भर_राजपूत ने #मदद मांगी और #ब्राह्मण भोजन करता रहा "...........


ऐसा कहते हुए भोजन की थाली छोड़कर #बाजीराव_बल्लाल_भट्ट अपनी सेना के साथ राजा #छत्रसाल की मदद को बिजली की गति से दौड़ पड़े ।


धरती के महानतम योद्धाओं में से एक , अद्वितीय , अपराजेय और अनुपम योद्धा थे बाजीराव बल्लाल ।


शिवाजी महाराज का हिन्दवी स्वराज का सपना जिसे पूरा कर दिखाया तो सिर्फ बाजीराव बल्लाल भट ने ।


दरअसल जब औरंगजेब के दरबार में अपमानित हुए #वीर_शिवाजी आगरा में उसकी कैद से बचकर भागे थे तो उन्होंने एक ही सपना देखा था, पूरे मुगल साम्राज्य को कदमों पर झुकाने का ।


अटक से कटक तक , कन्याकुमारी से सागरमाथा तक केसरिया लहराने के सपने को पूरा किया ब्रह्मर्षि बाजीराव पेशवा प्रथम ने ।


इतिहास में शुमार अहम घटनाओं में एक यह है कि दस दिन की दूरी बाजीराव ने केवल पांच सौ घोड़ों के साथ 48 घंटे में पूरी की, बिना रुके, बिना थके ।


देश के इतिहास में ये अब तक दो आक्रमण ही सबसे तेज माने गए हैं । एक अकबर का फतेहपुर से गुजरात के विद्रोह को दबाने के लिए नौ दिन के अंदर वापस गुजरात जाकर हमला करना और दूसरा बाजीराव का दिल्ली पर हमला ।


बाजीराव दिल्ली तक चढ़ आए थे और आज जहां तालकटोरा स्टेडियम है वहां डेरा डाल दिया...........उन्नीस-बीस साल के उस युवा ने मुगल ताकत को दिल्ली और उसके आसपास तक समेट दिया था ।


तीन दिन तक दिल्ली को बंधक बनाकर रखा । मुगल बादशाह की लाल किले से बाहर निकलने की हिम्मत ही नहीं हुई । यहां तक कि मुगल बादशाह और औरंगजेब का नाती दिल्ली से बाहर भागने ही वाला था कि उसके लोगों ने बताया कि जान से मार दिए गए तो सल्तनत खत्म हो जाएगी और तब जाकर वह लाल किले के अंदर ही किसी अति गुप्त तहखाने में छिप गया ।


बाजीराव मुगलों को अपनी ताकत दिखाकर वापस लौट गए ।


हिंदुस्तान के इतिहास के #बाजीराव_बल्लाल_भट्ट अकेले ऐसे योद्धा थे जिन्होंने अपनी मात्र 40 वर्ष की आयु में 39 बड़े युद्ध लड़े और एक भी नहीं हारे। अपराजेय , अद्वितीय

बाजीराव बिजली की गति से तेज आक्रमण शैली की कला में निपुण थे जिसे देखकर दुश्मनों के हौसले पस्त हो जाते थे । 

पूरे देश का शासक एक हिंदू हो, ये उनके जीवन का लक्ष्य था और जनता किसी भी धर्म को मानती थी, बाजीराव उनके साथ न्याय करते थे ।

#बुंदेलखंड_का_अभियान :

#बुंदेलखंड के #महाराजा_छत्रसाल_भर ने मुगलों के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया था जिसके कारण दिसंबर 1728 में मुगलों ने मुहम्मद खान बंगश के नेतृत्व में बुंदेलखंड पर आक्रमण कर दिया और महाराजा के परिवार के लोगों को बंधक बना दिया। छत्रसाल राजा के बार-बार बाजीराव से मदद मांगने पर मार्च सन् 1729 को को बाजीराव ने उत्तर दिया और अपनी ताकत से महाराजा छत्रसाल को उनका सम्मान वापस दिलाया। महाराजा छत्रसाल ने बाजीराव को बहुत बड़ी जागीर सौंपी और अपनी बेटी मस्तानी और बाजीराव का विवाह भी करवाया, साथ ही महाराजा छत्रसाल ने अपनी मृत्यु सन् 1731 के पहले अपने कुछ मुख्य राज्य भी मराठों को सौंप दिए।


ऐसे वीर #ब्राह्मण_योद्धा को उनकी जयंती पर उन्हें कोटि कोटि नमन।

जय भवानी🚩🚩

हर हर महादेव 🙏🙏🙏



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