#भर-राजपूत(राजभर_क्षत्रिय)राजा से हुए #रंक पर विशेष
👉राजा से रंक कैसे हुए #राजभर_क्षत्रिय पर कुछ विशेष
[ठाकुर श्री #प्रवीण_सिंह एवं #मनोज_राय की कलम से ]÷
कुछ ज्ञानी महानुभाव अज्ञानता के कारण राजा की औलाद को अपमानित करने का घृणित कार्य करते हैं और सवाल उठाते हैं कि जब आपके पूर्वज राजा थें तब उनकी औलादें रंक कैसे हुई??
उन महानुभावों के सवालों का जवाब हैं कि राजा की औलाद रंक कैसे हुएँ??
👉 आप और पूरे देशवासी अच्छी तरह जानते हैं कि SC, ST, OBC स्वतंत्र भारत के बाद सरकार की पालिसी है, आजादी से पहले SC, ST, OBC नहीं था,, आजादी से पहले वर्ण व्यवस्था थी।वर्ण व्यवस्था में #चार_वर्ण ÷ #ब्राम्हण, #क्षत्रिय, #वैश्य, #शुद्र।। भारत को सोनें की चिड़ियाँ कहा जाता था । विदेशी लुटेरा यहाँ शुद्रों को लुटनें नहीं आते थें, विदेशी लुटेरा यहाँ के राजा महाराजाओं की अपार धन संम्पदा को लूटने आये थें।। जो लड़ा वो खत्म हो गया। विदेशी लुटेरा #मोहम्मद_गजनवी यहीं के चाटुकार चंद गद्दारों के सहयोग से भारत के #शोमनाथ_मन्दिर को 17 बार लूटा ।।
#महाराजा_सुहेलदेव_राजभर जी के वंशज राजा से रंक कैसे हुए ??
👉👉 राजा से रंक होने का कारण÷ 10 जून 1033 ई० में #मोहम्मद_गजनवी का भान्जा #सैय्यद_सालार_मसुद_गाजी अपनें मामा के सपनें को साकार करने के लिए पश्चिमी प्रांतों को रौदते हुए भारत की सरजमी पर अपनें गंदे इरादों से अपनी विशाल सेना के साथ पैर रखता है, भारत देश के जितने छोटे मोटे राजा थें उसके डर से उसके आगे घुटने टेक दियें जो लड़ा वो खत्म हो गया। बनारस के #भर राजा #बनार को पराजित करके #अयोध्या के श्री राम जी के मन्दिर को नष्ट करते हुए #बहराइच जा पहुँचा।। बहराईच का शुद्ध नाम #भरराईच था , भरराईच #भरों की राजधानी थी।। #महाराजा_सुहेलदेव_राजभर जी नें 21 हिन्दू राजाओं को संगठित कर 18 वर्ष की अवस्था में मात्र बीस हजार सेना लेकर #सैय्यद_सालार_मसुद_गाजी के डेढ़ लाख मुस्लिम आक्रांताओं को गाजर मूली की तरह काटकर गाजी को मौत के घाट उतार दिया।। उस युद्ध में अफगान के एक एक घर का चिराग बुझा था।। उस युद्ध के बाद 150 वर्षों तक किसी भी विदेशी आक्रमणकारियों की हिम्मत नहीं हुई की भारत की सरजमी पर आँख उठाकर देख सके।। #सैयद_सालार_मसुद_गाजी मुसलमानों के भगवान हजरत मोहम्मद के तेरहवीं पीढ़ी से था ।उस युद्ध के बाद #मुसलमानों के अन्दर भरों के लिए मलाल था कि कब मौका मिले भरों से बदला लेने का।। मुसलमान 400 वर्षों तक भरों को मुस्लिम कट्टर विरोधी मानकर युद्ध करते रहें लेकिन सामने से भरों को कभी पराजित न कर सकें।। चौदहवीं शताब्दी में मुसलमानों को भरों की कमजोरी की बात मालूम हुई कि भर राजा और भर सैनिक, पूरा #भर_समुदाय #होली के दिन भांग, मदिरा, दारू पीकर मस्त पड़े रहते हैं, #शस्त्र नहीं उठाते हैं, दुश्मन को भी दोस्त समझकर गले लगाते हैं और होली बड़े धूम धाम से मनाते हैं यह बात जब जौनपुर के शासक इब्राहिम शाह शर्की को हुई तब इब्राहिम शाह शर्की नें सैयद सालार मसयुद् गाजी का हवाला देते हुए सभी मुसलमानों से आह्वान किया कि अब समय आ गया है अल्लाह के घर के बन्दे का बदला लेने का।। इब्राहिम शाह शर्की नें अफगान के मुसलमानों को निमंत्रण पत्र भेजकर भरों से बदला लेने के लिए बुलवाया और यहाँ के चाटुकार चंद गद्दारों को धन, दौलत, किला, कोट, जमीन जायजाद का लालच देकर अपनें पाले में किया क्योंकि उस समय कुछ राजवंश शासन सत्ता के लिए आपस में ही लड़ते थें।। राजभर राजाओं के यहाँ नौकरी करने वाले लालची लोगों को और पानी भरने वाली #पनिहारंन को भी धन दौलत देकर अपनें पाले में किया मुसलमान अच्छी तरह जानते थें की भर नशे में नहीं मारे जायेगें इसलिए पनिहारंन के द्वारा बड़े बड़े #शराब के हौदे में #जहर को भी मिलवा दिया।। जब शराब और जहर का नशा शरीर में चढ़ने लगा तब एक बहुत बड़े षड्यंत्र के तहत रात में 12 बजे एक साथ जहाँ- जहाँ भरों का साम्राज्य था अचानक एक बहुत बड़ा हमला किया गया।। नशे में बुत भर राजा और भर सैनिक युद्ध करने में सक्षम नहीं थें।। भरों को फसल की तरह काटा जा रहा था।। राजमहल के बाहर जो भर थें भले ही नशे में बुत थें जो मजबूत पड़े अन्धेरे का लाभ उठाकर जंगल में पलायन कर लियें और जहाँ के भर नशे में एकदम बुत थें युद्ध करने में असमर्थ थें वहाँ के भर मार दियें गयें।। भारत के #राजवंश में ऐसा हमला किसी भी राजवंश के साथ नहीं हुआ था।। मुसलमानों को ज्ञात था कि रात में अन्धेरें का लाभ उठाकर कुछ भर इधर उधर छिप गये हैं।। मुसलमानों नें एक अभियान चलाया #भर_मारो_अभियान जहाँ भर दिखें वहीं मार दों।। भर अचानक राजा से रंक हो गयें लेकिन फिर भी अपनें मान सम्मान, स्वाभिमान के साथ कभी समझौता नहीं किया।। बचे खुचे भर जंगल में छीपकर मुसलमानों के खिलाफ #छापामार और #गोरिल्ला युद्ध करते रहें।।
इतिहास के पन्नों में दर्ज है कि भरों के भय से दिल्ली तक की मुसलमानें फौजें परेशान रहती थी।। भरों के भय से दिल्ली के गेट को शाम 5 बजे बन्द कर दिया जाता था।। मुस्लिम विरोधी मानकर मुगल भी भर मारो अभियान को जारी रखा।।
👉बची खुची भरों के ताकत को अंग्रेजों नें 1871 ई० में भरों के ऊपर क्रीमिनल एक्ट लगाकर भरों के कमर को ही तोड़ दिया।। देश 15 अगस्त 1947 को आजाद हो गया लेकिन भरों को आजादी 31 अगस्त 1952 को मिली कारण क्या था ?
👉अंग्रेजों के द्वारा लगाया गया क्रीमिनल एक्ट भरो के ऊपर से आजादी के 5 वर्ष हटाया गया कारण क्या था? सभी देशवासियों से राजभर समाज का एक सवाल है कि भारत वर्ष में लगभग 6743 जातियाँ पाई जाती हैं सिर्फ मुसलमान और मुगल के द्वारा भर मारों अभियान भरों के ऊपर ही क्यूँ लगाया गया कारण क्या था? अंग्रेजों के द्वारा क्रीमिनल एक्ट भरों के ऊपर लगा कारण क्या था? भरों का गोत्र भारद्वाज है, भारद्वाज गोत्र केवल ब्राम्हण, क्षत्रिय और भूमिहार का है।। भारद्वाज गोत्र के भर क्या दलित, अछूत हैं? भारत के राजवंश में दस अश्वमेध यज्ञ करवाने वाला कोई राजवंश नहीं है लेकिन #भारशिव_नागवंशी_राजभरों नें #काशी में लगातार 10 #अश्वमेध_यज्ञ संपन्न कर उसका समापन समारोह जहाँ संपन्न किया था वह काशी का #दशाश्वमेध नामक घाट है।। 10 अश्वमेध यज्ञ कराने वाला #राजवंश दलित, अछूत है? जिस राजवंश नें शिव शिवालय गढ़ी, तालाब, बड़े बड़े दुर्गों का निर्माण कराया क्या वह जाति दलित, अछूत है? वाकाटक ब्राम्हणों का ताम् पत्र ÷
श्लोक-
""अंशभारसन्निवेशितशिवलिंगोंद्वाहंनशिवसुपरितुष्टसमुत्पादित राजवंशानाम्पराक्रमाधिगतभागिरथ्यामल जलेमुर्द्धाभिषिक्तानांदशाश्वमेध अवभृत्स्नाना भारशिवनाग।।
👉 वह भारशिव नाग राजवंश जिसने अपनें पराक्रम से दशाश्वमेध यज्ञ संपन्न कर अपनें आराध्य देव को संतुष्ट कर भागीरथी गंगा के अमल- निर्मल जल से अवभृत स्नान कर शिवलिंग को अपनें कन्धों पर धारण कर भारशिव की उपाधि ग्रहण किया और कुषाणों को भारत की धरती से खदेड़कर हिन्दू धर्म की पुनः स्थापना किया क्या वह जाति दलित, अछूत है? जिस समाज के महापुरुषों नें देश धर्म प्रजा, संस्कृति सभ्यता की रक्षा किया क्या वह समाज दलित, अछूत है? जिस जाति को 600 वर्षों तक एक बहुत बड़े षड्यंत्र के तहत कुचक्र चलाकर रौदा गया हो उस जाति की सामाजिक और आर्थिक स्थिति दयनीय होने के कारण आज लोंग उस समाज को हेय दृष्टि से देखते हैं।। जिस जाति के महापुरुषों नें आजीवन देश धर्म, प्रजा, संस्कृति सभ्यता की रक्षा करते करते राजा से रंक हो गयें लेकिन कभी किसी के सामने अपनें मान, सम्मान, स्वाभिमान के साथ समझौता नहीं कियें आज उनके वंशजों को अज्ञानता के कारण लोंग अपमानित करते हैं।। जिस जाति के ऊपर देश- विदेश के सभी जाति धर्मो के लगभग 150 इतिहासकारों नें राजभर समाज के महापुरुषों की वीरता को अपनी सुन्दर लेखनी से राजभर महापुरुषों के स्वर्णिम इतिहास को इतिहास के पन्नों में अंकित कर सदा सदा के लिए अमर कर दियें हैं।। 17 वीं शताब्दी में मुसलमानों के द्वारा लिखी गई किताब मिरात ए मसूदी, आइनें अकबरी,, अंग्रेजों के द्वारा सरकारी दस्तावेज गजेटियर, भारत के तमाम इतिहासकारों नें खासकर ब्राम्हण इतिहासकारों नें काशी हिन्दू विश्व विद्यालय के ब्राम्हण प्रोफेसर,, संस्कृत सम्पूर्णानन्द विश्व विद्यालय के ब्राम्हण प्रोफेसर,, काशी विद्यापीठ विश्व विद्यालय के ब्राम्हण प्रोफेसर,,, जीडी बिनानी पीजी कालेज मिर्जापुर के राजनीति शास्त्र ब्राम्हण #प्रोफेसर_डा_ध्रुव_पांडे भारत के जाने माने इतिहासकार #हजारी_प्रसाद_द्विवेदी_जी #पं_राहुलसंस्कृत्यायन,#लक्ष्मी_प्रसाद_मिश्र,#श्रीमती_कुसुमलता_दुबे, #बी_सी_मिश्रा,#रामकुमार_शुक्ला,#एस_एन_दुबे, सतेंद्रनाथ तिवारी जबलपुर से सबसे ज्यादा ब्राम्हण और अंग्रेज इतिहासकारों ने कलम चलाई हैं।। लगभग 500 राजभर राजाओं की लिखित प्रमाणित ऐतिहासिक दस्तावेज हैं किस इतिहासकार नें लिखी है,किताब का नाम क्या है, किस पृष्ठ पर अंकित है सब प्रमाणित दस्तावेज हैं।। इतिहास अतित का वो दर्पण है जिसमें सब कुछ साफ साफ दिखाई देता है बस अपना अमूल्य समय निकालकर अध्ययन करने की जरूरत है।। सवाल उठानें वाले समाज के पूर्वजों की लेखनी ही सिद्ध करती है कि भरों के जैसा कोई बलशाली नहीं।।भरों के जैसा किसी का साम्राज्य नहीं था।।भरों के जैसा कोई धनवान नहीं था।।भरों के इतिहास से तो इतिहास का पन्ना भरा पड़ा है।।
🕉ओम् भारशिवाय नमः 🚩🚩
🕉 हर हर महादेव🙏🙏🙏
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