#महाशिवरात्रि🔱 पर विशेष 🚩🚩
👉#महाशिवरात्रि🔱 पर विशेष लेख ✍✍✍
आज है महाशिवरात्रि,हजारो वर्ष पहले #राजभर_क्षत्रियो ने महादेव को प्रसन्न करने के लिये अपने कंधे पर शिवलिंग धारण करके माँ #भागीरथी के पावन जल से #रुद्राभिषेक किया था तत्पश्चात महादेव प्रसन्न होकर सभी #राजभर_क्षत्रियो को #भारशिव🔱 की उपाधि दी
"सभी देशवाशियों को महाशिवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं👏👏👏नाग जाति भगवान शंकर जी की महान पूजक थी, हे! भारशिव नागवंशी आर्य पुत्रों अपनें आपको जानों और पहचानों आप कौंन हैं, आपके पूर्वज क्या थे आपकी वीरता और आपकी महानता को भगवान शिव जी के साथ-साथ सभी इतिहासकारों नें अपनी लेखनी से आपके स्वर्णिम इतिहास को स्वर्णिम अक्षरों में विश्व पटल पर रखा है, नमन् है उन इतिहासकारों को जिन्होनें आपकी वीरता और आपकी महानता का गुणगान और आपकी यश कीर्ति का द्वीप पूरी दुनियाँ में प्रज्वलित किए हैं, भारभूतेष का अर्थ स्पष्ट करें तो भूत का अर्थ प्राणी अथवा जाति है, भारभूतेष का पूर्ण अर्थ भार जाति का ईश्वर शिव हैं, भारभूतेष शब्द भार जाति एवं शिव का घनिष्ठ सम्बंध दर्शाता है,"राजवंशानाम् भारशिवानाम्" माँ भगवती पार्वती जी महादेव शिव जी से बोली हे! महादेव जिस कौम को आपनें जन्म दिया जो कौम आपके नाम के साथ भारशिव नाम से विख्यात हुई उसके बारे में बतायें, महादेव शिव जी नें कहाँ हे! देवी इस जाति के पूर्वजों नें मुझे मेरे विग्रह को कंन्धे पर धारण किया मुझे संतुष्ट किया मेरे अराध्यत्य में गंगा तट पर दश अश्वमेघ यज्ञ कर अवभृग स्नान किया तथा राजवंशानाम् भारशिवानाम् राजवंश भारशिव नाम प्राप्त किया अर्थात मेरे नाम के साथ यह जाति तीनों लोको में प्रसिद्ध हुई, जिस तरह इन्होनें मुझे कंन्धो पर धारण किया वैसे ही मैंने इनको सम्मान दिया, इस जाति के महान राजा वासुकी नाग को प्रतीक के रूप में अपनें गले में धारण कर सम्मान दिया, इस जाति के राजा वीरसेन भारशिव नें अपनें आपको हमें पूरी तरह समर्पित कर के मेरे विग्रह को पूरे विश्व में स्थापित कियें जो हर जगह शिवलिंग स्थापित करायें जिन्होनें पूरी दुनियाँ को शिवमय् कर दिया मैंने उस राजा को अपनें दरबार में वीरभद्र के रूप में महत्वपूर्ण स्थान दिया, मेरे विग्रह को धारण करने वाले भारशिव वृषनन्दी को तो स्वयं अपना वाहन ही स्वीकार किया हूँ,इस वंश के राजा भवनाग तो इतना प्रसिद्ध हुए कि मेरा नाम ही भवनाथ हो गया और आप भगवती से भवानी नाम से जन -जन में विख्यात हुई, अब तो लोग आपको भवानी कहनें लगे हैं, इस भारशिव जाति के नाम पर लोग मुझे भारेश्वर यानि भार जाति का ईश्वर कहनें लगें, इनकी धार्मिकता के कारण कई स्थानों का नाम भारतिर्थ और मंन्दिरों का नाम भारेश्वर मन्दिर पड़ गया है,भर और शिव एक दूसरे के पूरक हैं, जहाँ भर हैं वहीं शिव हैं भरशिव, जहाँ शिव हैं वहीं भर हैं शिवभर, जय हो भरशिव शिवभर नागवंशी क्षत्रिय समाज, ओम् भारशिवाय नमः, जय माँ भवानी, हर- हर महादेव 🙏🙏🙏
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भगवान #शिव की आराधना,पूजा विधि,शुभ मुहूर्त और आरती ।।
👉#फाल्गुन माह के #कृष्ण_पक्ष की #चतुर्दशी तिथि को #महाशिवरात्रि व्रत रखते हैं, इस वर्ष महाशिवरात्रि आज यानी 01 मार्च दिन मंगलवार को है,महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा होती है ।।
👉 महाशिवरात्रि🔱 पर बन रहा #पंचग्रही योग
महाशिवरात्रि पर #मकर_राशि में पंचग्रही योग बन रहा है. इस दिन मंगल, शनि, बुध, शुक्र और चंद्रमा रहेंगे. लग्न में कुंभ राशि में सूर्य और गुरु की युति रहेगी. राहु वृषभ राशि, जबकि केतु दसवें भाव में वृश्चिक राशि में रहेगा. यह ग्रहों की दुर्लभ स्थिति है ।
👉ऐसे करें #भगवान_शिव_पूजा
महाशिवरात्रि के दिन सबसे पहले शिवलिंग में चन्दन के लेप लगाकर पंचामृत से शिवलिंग को स्नान कराएं,दीप और कर्पूर जलाएं ।
पूजा करते समय #ऊं_नमः_शिवाय मंत्र का जाप करें ।
शिव को #बिल्व_पत्र और फूल अर्पित करें।
शिव पूजा के बाद गोबर के उपलों की अग्नि🔥 जलाकर तिल, चावल और घी की मिश्रित आहुति दें।
होम के बाद किसी भी एक साबुत फल🍎 की आहुति🔥 दें।
सामान्यतया लोग सूखे नारियल🥥 की आहुति🔥 देते हैं
👉#महाशिवरात्रि 🔱के दिन पढ़ें ये शिव मंत्र
1. शिव मोला मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
2. महा मृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
3. रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि
तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
👉 महाशिवरात्रि🔱 व्रत के नियम
शिवरात्रि के दिन भक्तों को सन्ध्याकाल स्नान करने के पश्चात् ही पूजा करनी चाहिए या मंदिर जाना चाहिए ।
शिव भगवान की पूजा रात्रि के समय करना चाहिए एवं अगले दिन स्नानादि के पश्चात् अपना व्रत का पारण करना चाहिए।
व्रत का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए भक्तों को सूर्योदय व चतुर्दशी तिथि के अस्त होने के मध्य के समय में ही व्रत का समापन करना चाहिए ।
लेकिन, एक अन्य धारणा के अनुसार, व्रत के समापन का सही समय चतुर्दशी तिथि के पश्चात् का बताया गया है ।
दोनों ही अवधारणा परस्पर विरोधी हैं, लेकिन, ऐसा माना जाता है की, शिव पूजा और पारण (व्रत का समापन), दोनों ही #चतुर्दशी_तिथि अस्त होने से पहले करना चाहिए ।।
रात्रि के चारों प्रहर में की जा सकती है शिव पूजा
शिवरात्रि पूजा रात्रि के समय एक बार या चार बार की जा सकती है. रात्रि के चार प्रहर होते हैं, और हर प्रहर में शिव पूजा की जा सकती है।
पौराणिक ग्रंथों में #भगवान_शिव के 108 नामों का उल्लेख किया गया है, माना जाता है कि जो भक्त भगवान शिव के इन 108 नामों का नियमित रूप से जाप करता है भगवान शिव उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते है।
👉शिवजी को ऐसे चढ़ाएं #बेलपत्र
कहते हैं कि शिवलिंग पर हमेशा उल्टा बेलपत्र अर्पित करना चाहिए,बेल पत्र का चिकना भाग अंदर की तरफ यानी शिवलिंग की तरफ होना चाहिए।
#मान्यताएं
मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और #समृद्धि की प्राप्ति होती है, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है. यह भगवान शिव का प्रतीक है, शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन ।।
👉#महाशिवरात्रि पूजा सामग्री
महाशिवरात्रि आज 1 मार्च को मनाई जाएगी बेल के पत्ते महाशिवरात्रि पूजा सामग्री का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो पूजा के दिन ही नहीं तोड़े जाने चाहिए।
पूजा के लिए निम्नलिखित चीजें आवश्यक हैं:
1 शिव लिंग या भगवान शिव की एक तस्वीर
2 बैठने के लिए ऊन से बनी चटाई
3 कम से कम एक दीपक
4 कपास की बत्ती
5 पवित्र बेल
6 कलश या तांबे का बर्तन
7 थाली
8 शिव लिंग रखने के लिए सफेद कपड़ा
9 माचिस
10 धूप बत्ती
11 चंदन का पेस्ट
12 घी
13 कपूर
14 रोली
15 बेल के पत्ते (बेलपत्र)
16 विभूति- पवित्र आशु
17 अर्का फूल
निम्नलिखित वैकल्पिक आइटम हैं
18 छोटी कटोरी
19 गुलाब जल
20 जैफली
21 गुलाल
22 भंग
👉#शिव🔱 और #शक्ति🚩 का हुआ था मिलन
महाशिवरात्रि को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं, एक कथा के अनुसार #माता_पार्वती ने शिव को पति रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को माता पार्वती का #विवाह भगवान शिव से हुआ, इसी कारण इस दिन को अत्यन्त ही महत्वपूर्ण माना जाता है।।
👉#महाशिवरात्रि पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के #विवाह की रात्रि मानी जाती है,मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था. महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.
👉#महाशिवरात्रि तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व 01 मार्च, मंगलवार को है, चतुर्दशी तिथि मंगलवार की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से शुरू होकर 02 मार्च, बुधवार को सुबह करीब 10 बजे तक रहेगी ।।
👉 इस दिन पूजा करना का विशेष फलदायी
वैसे तो इस दिन मंदिर जाकर पूजन करना विशेष फलदायी होता है, लेकिन यदि आप नहीं जा पाते हैं तब भी घर पर ही पूजन करें।
👉#महाशिवरात्रि का उपवास व जागरण क्यों ?
ऋषि महर्षियों ने समस्त आध्यात्मिक अनुष्ठानों में उपवास को महत्त्वपूर्ण माना है,गीता के अनुसार उपवास विषय निवृत्ति का अचूक साधन है,आध्यात्मिक साधना के लिये उपवास करना परमावश्यक है,उपवास के साथ रात्रि जागरण का महत्व है, उपवास से इन्द्रियों और मन पर नियंत्रण करने वाला संयमी व्यक्ति ही रात्रि में जागकर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील हो सकता है,इन्हीं सब कारणों से इस महारात्रि में उपवास के साथ रात्रि में जागकर शिव पूजा करते हैं ।।
👉#पूजा सामग्री
भगवान शिव पर अक्षत, पान, सुपारी, रोली, मौली, चंदन, लौंग, इलायची, दूध, दही, शहद, घी, धतूरा, बेलपत्र, कमलगट्टा आदि भगवान को अर्पित करें. पजून करें और अंत में आरती करें।।
👉इस कारण से शिव को नहीं चढ़ाते हैं 🌿तुलसी
शिव पुराण के अनुसार, जालंधर नाम का असुर भगवान शिव के हाथों मारा गया था, जालंधर को एक वरदान मिला हुआ था कि उसे अपनी पत्नी की पवित्रता की वजह से उसे कोई भी अपराजित नहीं कर सकता है, लेकिन जालंधर को मरने के लिए भगवान विष्णु को जालंधर की पत्नी तुलसी की पवित्रता को भंग करना पड़ा,अपने पति की मौत से नाराज़ तुलसी ने भगवान शिव का बहिष्कार कर दिया था,इसी वजह से तुलसी का प्रयोग शिव पूजा करने की मनाही है ।।
👉प्रहर के अनुसार शिवलिंग स्नान विधि
सनातन धर्म के अनुसार शिवलिंग स्नान के लिये रात्रि के प्रथम प्रहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घृत और चौथे प्रहर में मधु, यानी शहद से स्नान कराने का विधान है. इतना ही नहीं चारों प्रहर में शिवलिंग स्नान के लिये मंत्र भी अलग हैं ।।
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर कमल, शंखपुष्प और बेलपत्र☘ अर्पित करने से आर्थिक तंगी या धन की कमी के निजात मिलती है। इसके अलावा कहा जाता है कि अगर एक लाख की संख्या में इन पुष्पों को शिवजी को अर्पित किया जाए, तो सभी पापों का नाश होता है।
यह है शिव मंत्र
'ओम अघोराय नम:।।
ओम तत्पुरूषाय नम:।।
ओम ईशानाय नम:।।
ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय'
पूजन मुहूर्त
आइए जानते हैं इस दिन चार पहर की पूजा का समय
महाशिवरात्रि पहले पहर की पूजा: 1 मार्च 2022 को 6:21 pm से 9:27 pm तक
महाशिवरात्रि दूसरे पहर की पूजा: 1 मार्च को रात्रि 9:27 pm से 12:33 am तक
महाशिवरात्रि तीसरे पहर की पूजा: 2 मार्च को रात्रि 12:33 am से सुबह 3:39 am तक
महाशिवरात्रि चौथे पहर की पूजा: 2 मार्च 2022 को 3:39 am से 6:45 am तक
व्रत का पारण: 2 मार्च 2022, बुधवार को 6:45 am
👉#महाशिवरात्रि पूजा का महत्व
महाशिवरात्रि पर्व के यदि धार्मिक महत्व की बात की जाए तो महाशिवरात्रि शिव और माता पार्वती के विवाह की रात्रि मानी जाती है. मान्यता है इस दिन भगवान शिव ने सन्यासी जीवन से ग्रहस्थ जीवन की ओर रुख किया था. महाशिवरात्रि की रात्रि को भक्त जागरण करके माता-पार्वती और भगवान शिव की आराधना करते हैं. मान्यता है जो भक्त ऐसा करते हैं उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है.
👉#ये है मान्यता
मान्यता है कि इस दिन महादेव का व्रत रखने से सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के लिंग स्वरूप का पूजन किया जाता है. यह भगवान शिव का प्रतीक है. शिव का अर्थ है- कल्याणकारी और लिंग का अर्थ है सृजन ।।
सौजन्य से- #श्री_भारशिव_नागवंशी_क्षत्रिय_सेना🚩
जय भवानी🚩
जय भारशिव🚩🚩
हर हर महादेव 🙏🙏🙏
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